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बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक सम्प्रेषण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2669
आईएसबीएन :0

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बीकाम सेमेस्टर-1 व्यावसायिक सम्प्रेषण

अध्याय - 1

सम्प्रेषण : महत्त्व एवं प्रक्रिया

(Communication : Importance and Process)

प्रश्न- व्यावसायिक सम्प्रेषण से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्य व महत्व को समझाइये।

अथवा
सम्प्रेषण को परिभाषित कीजिए तथा इसके आवश्यक तत्वों का विवेचन कीजिए। व्यवसाय में प्रभावी सम्प्रेषण की क्या महत्ता है? बताइये।
अथवा
"प्रबन्धन द्वि-मार्गीय यातायात की भाँति है, यह सम्प्रेषण की प्रभावशाली यांत्रिक व्यवस्था पर निर्भर है।' समीक्षा कीजिए
अथवा
"मानव जाति की एकमात्र सर्वाधिक महत्वपूर्ण विशेषता सम्प्रेषण करने की योग्यता है।" विचार कीजिए।
अथवा
"सम्प्रेषण एक-दूसरे के मध्य सूचना एवं समझदारी बनाए रखने की प्रक्रिया है"। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
अथवा
"संचार उन सभी बातों का सार है जो कि एक व्यक्ति दूसरे को समझाना चाहता है। यह शब्दों का पुल है। यह लगातार कहने, सुनने और समझने की विधि है।' विस्तार से लिखिए।
'अथवा
व्यावसायिक सम्प्रेषण के आवश्यक तत्व तथा प्रकृति बताइये।

इस प्रश्न का उत्तर आगे दिये गये सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तरों को मिलाने से पूरा होता है।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न- सम्प्रेषण से आप क्या समझते हैं?
अथवा
सम्प्रेषण क्या है?
अथवा
नैगमिक सम्प्रेषण से आप क्या समझते हैं?

उत्तर -

सम्प्रेषण का आशय
(Meaning of Communication)

सम्प्रेषण जीवन का एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण पक्ष है। हमारे सक्रिय समय का सत्तर प्रतिशत समय सम्प्रेषण में लगता है। शब्द 'सम्प्रेषण' (communication) की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द 'कम्यूनिस? ( communis ) से हुई मानी जाती है, जिसका आशय है "सामान्य" (common )। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि शब्द 'सम्प्रेषण' (communication) लैटिन भाषा के शब्द 'कम्यूनिस' से - लिया गया है, जिसका आशय है 'सामान्य रूप से सम्प्रेषण के बारे में यह कहा जा सकता है कि यह एक द्वि-मार्गीय प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से दो या अधिक व्यक्ति विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। सम्प्रेषण लिखित या भाषित (verbal) सूचना का विनिमय है। सम्प्रेषण के अन्तर्गत एक व्यक्ति से किसी दूसरे व्यक्ति के पास सूचना एवं विचारों का अग्रसारण होता है। वास्तव में सम्प्रेषण का आशय एक व्यक्ति से किसी दूसरे व्यक्ति के पास संदेश भेजने से लगाया जाता है ताकि वह संदेश को समझ सके व उसे कार्यान्वित कर सके।

यदि एक व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति द्वारा भेजे गये संदेश को नहीं समझ पाता है या समझने में असफल रहता है तो इसे सम्प्रेषण नहीं कहा जा सकता है। जैसे यदि उपक्रम का अध्यक्ष वार्षिक सामान्य सभा में अंग्रेजी भाषा में भाषण देता है तथा कोई भी व्यक्ति अंग्रेजी नहीं समझता, तो इसे सम्प्रेषण नहीं कहा जा सकता।

सम्प्रेषण प्रबन्धकों के हाथों में एक प्रभावपूर्ण हथियार होता है। इसके माध्यम से कार्पोरेट जगत में कार्य सम्पन्न होते हैं। सम्प्रेषण का व्यावसायिक एवं औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है। वर्तमान समय में सम्प्रेषण के बिना व्यावसायिक विकास की कल्पना करना व्यर्थ है। व्यावसायिक जगत् में नैगमिक सम्प्रेषण व्यक्ति के शरीर में होने वाले रक्त संचार की भाँति महत्वपूर्ण है। नैगमिक क्षेत्र में सुव्यवस्थित सम्प्रेषण पद्धति अपनाकर व्यवसाय प्रचालन में तीव्रता लायी जा सकती है। यदि व्यावसायिक प्रगति को तीव्र करना हो तो सम्प्रेषण आवश्यक होगा। वर्तमान संचार क्रान्ति की स्थिति में व्यावसायिक उद्यमों की सफलता बहुत कुछ उचित सम्प्रेषण पर निर्भर करती है। आज के इस गतिशील व्यावसायिक पर्यावरण में सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जाना अपरिहार्य है। नैगमिक सम्प्रेषण में व्यावसायिक संस्था या उसके सदस्य विचारों, भावनाओं, प्रतिक्रियाओं, समंकों का आदान-प्रदान करते हैं। उद्योग, वाणिज्य एवं व्यापार के आन्तरिक एवं बाह्य सम्बन्धों का सृजन सम्प्रेषण प्रक्रिया द्वारा किया जाता है। व्यावसायिक उन्नति के अनुरूप सम्प्रेषण की महत्ता बढ़ती जाती है।

सम्प्रेषण की परिभाषाएँ
(Definitions of Communication)

विभिन्न विद्वानों ने सम्प्रेषण को अग्रवत परिभाषित किया है -

लुईस ए. ऐलन के अनुसार, " संचार उन सब क्रियाओं का योग है जिनको एक व्यक्ति अपनी विचारधारा को दूसरे व्यक्ति के मस्तिष्क में पहुँचाने हेतु या उसे समझाने हेतु अपनाता है। इसके अन्तर्गत कहने सुनने तथा समझाने की व्यवस्थित एवं नियंत्रित गतिविधियों का समावंश होता है।'
संचालकों को प्रशिक्षण देने वाली अमेरिकी समिति के अनुसार, “अच्छा सम्प्रेषण विचारों का आदान-प्रदान है अथवा पारम्परिक समझदारी, विश्वास तथा अच्छे मानवीय सम्बन्धों की स्थापना हेतु सूचना है।"
न्यूमैन एवं समर के अनुसार, “सम्प्रेषण दो या दो से अधिक व्यक्तियों के मध्य तथ्यों, विचारों, सम्मतियों अथवा भावनाओं का विनिमय है।"
थियो हेमैन के अनुसार, "सम्प्रेषण एक-दूसरे के मध्य सूचना एवं समझदारी बनाये रखने की प्रक्रिया है।"
कीथ डेविस के अनुसार, “सम्प्रेषण एक-दूसरे के बीच सूचना प्रदान करने व समझने की प्रक्रिया है।'
पीटल लिटिल के अनुसार, "सम्प्रेषण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा सूचनाओं के भेजने से व्यक्तियों या संगठनों के मध्य समझदारी पनप सके।'
अमेरिकन प्रबन्ध संगठन के अनुसार, "व्यक्ति के किसी भी व्यवहार का प्रतिफल सूचनाओं के आदान-प्रदान से है।"

उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि सम्प्रेषण एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से दो या अधिक व्यक्ति तथ्यों, विचारों, सम्मतियों या भावनाओं का आदान-प्रदान करते हैं। सम्प्रेषण सुनने, बोलने तथा समझने की निरन्तर प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के अन्तर्गत दो या अधिक व्यक्ति किसी माध्यम के द्वारा दोनों पक्षकारों को समझने योग्य सूचना या संदेश को प्रेषित व ग्रहीत करते हैं।

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